दुलीप ट्रॉफी 2024 के दूसरे दौर के मुकाबले में इंडिया ए और इंडिया डी के बीच सामना हुआ। यह मैच ग्रामीण विकास ट्रस्ट स्टेडियम, अनंतपुर में खेला जा रहा है। इंडिया ए टीम कुछ प्रमुख खिलाड़ियों की कमी के चलते कमजोर स्थिति में नजर आ रही है, क्योंकि शुभमन गिल और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी बांग्लादेश दौरे के लिए भारतीय टीम में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कप्तान मयंक अग्रवाल के सामने एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है। दूसरी तरफ, इंडिया डी की टीम में अक्षर पटेल की कमी के बावजूद श्रेयस अय्यर, संजू सैमसन, देवदत्त पडिक्कल और हर्षित राणा जैसे मजबूत खिलाड़ी मौजूद हैं।
इंडिया डी की टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लिया। यह फैसला करो या मरो की स्थिति को देखते हुए लिया गया, क्योंकि दोनों टीमों के लिए इस प्रतियोगिता में बने रहना बहुत महत्वपूर्ण है। पारी की शुरुआत में इंडिया ए की टीम ने संघर्ष किया और 20.4 ओवर के बाद 76 के स्कोर पर 4 विकेट गवां दिए। इस समय तक शश्वत रावत और कुमार कुशाग्र क्रीज पर मौजूद थे।
इंडिया डी के लिए आर्शदीप सिंह और सरांश जैन ने एक-एक विकेट लिया, जबकि अन्य गेंदबाजों ने भी प्रभावी प्रदर्शन किया। आर्शदीप की गेंदबाजी में काफी धार दिखी और उन्होंने शुरू में ही इंडिया ए के शीर्ष क्रम को चटकाया। स्पष्ट है कि इंडिया डी की टीम के गेंदबाजों ने शानदार सामूहिक प्रदर्शन किया था।
इंडिया ए की टीम को अपने प्रमुख खिलाड़ियों की कमी का प्रभाव शुरू में ही दिखने लगा। शुभमन गिल और केएल राहुल की अनुपस्थिति ने बल्लेबाजी क्रम को काफी कमजोर कर दिया। कप्तान मयंक अग्रवाल ने टीम को संभालने की कोशिश की, लेकिन उन्हें दूसरी ओर से अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। यह साक्षात इस बात का प्रमाण है कि अनुभवी खिलाड़ियों की कमी किसी भी टीम के प्रदर्शन पर कितना गहरा प्रभाव डाल सकती है।
मयंक अग्रवाल ने आउट होने से पहले अपने स्वभाव के अनुरूप सधे हुए शॉट्स लगाकर टीम को खड़ी करने की कोशिश की, लेकिन उनके आउट होने के बाद बल्लेबाज तेजी से आउट होते गए। इस समय शश्वत रावत और कुमार कुशाग्र पर टीम को एक स्थिर स्थिति में लाने की बड़ी जिम्मेदारी है।
इंडिया डी की टीम ने अपनी गेंदबाजी में सामंजस्य दिखाते हुए इंडिया ए को दबाव में रखा। श्रेयस अय्यर की कप्तानी में टीम ने मैदान पर आक्रामक रणनीति अपनाई और शुरुआती विकेट हासिल करने में सफलता पाई। संजू सैमसन और हर्षित राणा ने भी बेहतरीन फील्डिंग का प्रदर्शन किया, जिससे गेंदबाजों को मदद मिली।
डेविड पडिक्कल ने अपने सेंटर पोजिशन से फील्डिंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई रन बचाए। गेंदबाजों के साथ चौकस फील्डिंग ने इंडिया डी की स्थिति को मजबूत किया। इस मैच में जीतने पर दोनों टीमों की संभावनाएं जीवित रह सकती हैं, इसलिए यह मैच अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
इस मैच के परिणाम का असर दोनों टीमों की आगे की रणनीति पर स्पष्ट दिखाई देगा। इंडिया ए यदि इस मैच में बरकरार रहना चाहती है, तो उसे बेहतर प्रदर्शन करना होगा। दूसरी ओर, इंडिया डी के लिए यह जीत उन्हें प्लेऑफ्स में मजबूत स्थिति में ला सकती है। कुल मिलाकर, यह मैच दोनों टीमों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
इंडिया ए की टीम को अगले दिन एक नए सिरे से शुरुआत करनी होगी और क्रीज पर मौजूद बल्लेबाजों को टिककर खेलना होगा। वहीं, इंडिया डी को अपने गेंदबाजी और फील्डिंग के प्रदर्शन को बरकरार रखना होगा। देखना है कि अगले दिन का खेल किस टीम के पक्ष में जाता है और किस तरह परिणाम सामने आता है।
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Guru s20
इंडिया डी के गेंदबाजों ने तो बिल्कुल धमाकेदार शुरुआत की है। आर्शदीप की फास्ट इनस्विंग तो बल्लेबाजों के लिए बर्फ की चादर जैसी लग रही है।
Raj Kamal
ये मैच तो बिल्कुल इंडिया ए के लिए टेस्ट ऑफ पैटिएंस है, मैंने देखा कि शश्वत और कुमार कुशाग्र क्रीज पर हैं और वो दोनों अपने गेम को समझते हैं, लेकिन अगर इंडिया ए को अगले दिन भी यही बल्लेबाजी दिखाई देगी तो बाहर होना तय है। अगर शुभमन और राहुल होते तो ये सब नहीं होता, लेकिन ये टीम तो फ्यूचर के लिए बनाई गई है, इसलिए इन लोगों को थोड़ा टाइम देना चाहिए। वैसे भी ये सब खिलाड़ी अगले साल टीम इंडिया में होंगे, अभी तो एक्सपीरिमेंट चल रहा है।
Rahul Raipurkar
इंडिया ए की हार एक सामाजिक विफलता है। हमने अपने खिलाड़ियों को बाहरी दबाव में डाल दिया है, और फिर उन्हें असफलता का दोष दे रहे हैं। यह एक राष्ट्रीय अभिमान का मुद्दा नहीं, बल्कि एक बुनियादी खेल नीति का असफलता है। हम टैलेंट को नहीं, बल्कि नाम को प्राथमिकता देते हैं। इसलिए जब नाम गायब होते हैं, तो टीम भी गायब हो जाती है।
PK Bhardwaj
इंडिया डी के फील्डिंग सेटअप में डेविड पडिक्कल का केंद्रीय स्थान बहुत ही स्मार्ट था। उनकी फील्डिंग ने बल्लेबाजों के रन बनाने के विकल्पों को कम कर दिया। यह एक रणनीतिक बुद्धिमत्ता का उदाहरण है - जहां फील्डिंग को बस एक सहायक भूमिका नहीं, बल्कि एक आक्रामक टूल के रूप में इस्तेमाल किया गया। यही आधुनिक क्रिकेट की असली भाषा है।
Soumita Banerjee
ये सब लोग तो बस ट्रेनिंग ग्राउंड में घूम रहे हैं... इंडिया ए का कोई टैलेंट नहीं है। अगर ये लोग इतने अच्छे होते तो इंडिया बी में भी नहीं आते। 😒
Navneet Raj
इंडिया ए के लिए ये बहुत अच्छा अनुभव है। शश्वत और कुमार कुशाग्र जैसे खिलाड़ी जो अभी टीम में हैं, उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है कि वो एक बड़े मैच में खेल रहे हैं। मयंक ने जो लीड दिखाया, वो बहुत प्रेरणादायक था। ये टीम अभी बन रही है, और ये बहुत अच्छा संकेत है। जल्दबाजी मत करो - ये लोग अगले साल तक बहुत बेहतर हो जाएंगे।
Neel Shah
इंडिया ए को तो बस फिर से टीम इंडिया में जाने का बहाना बनाया गया है... और अब ये लोग खुद को असली टीम समझने लगे हैं! 😭 जब तक शुभमन और राहुल नहीं आए, तब तक ये सब बस एक गलत अहंकार का नाम है... और ये आर्शदीप भी तो बस एक बॉलर है, उसकी गेंद तो बस एक फास्ट इनस्विंग है, और तुम सब इसे बहुत बड़ी बात बना रहे हो!! 🤦♀️
shweta zingade
अरे भाई, इंडिया ए के लिए ये बहुत बड़ा मौका है! देखो, शश्वत रावत ने तो बिल्कुल अपने दिल से खेला है - ये बच्चे जिन्हें कोई नहीं देख रहा, वो अब बड़े मैदान पर खड़े हैं! अगर आप उन्हें बस एक बार गले लगा लें, तो ये आपको जिंदगी भर याद रखेंगे! ये टीम अभी बन रही है - और ये बनने की कहानी है, न कि टूटने की! 🙌 देखोगे, ये लोग आने वाले साल में टीम इंडिया के दिल बन जाएंगे!
Pooja Nagraj
इंडिया ए की बल्लेबाजी एक विफल अनुकरण है - जिसे असली टीम के लिए बनाया गया है, लेकिन जिसका अस्तित्व एक अनुकरण के बाहर नहीं है। यह एक सांस्कृतिक विकृति है: जहां नाम के बजाय असली योग्यता का अभाव है। यह मैच एक निर्माण की बजाय एक निर्माण के अभाव का दर्शन है। और यही भारतीय क्रिकेट की वास्तविकता है।
Anuja Kadam
मयंक ने जो खेला वो अच्छा था... लेकिन उसके बाद कौन आया? बस गिरते गए... ये टीम तो बस एक फॉर्मलिटी है। अगर ये लोग इतने अच्छे होते तो फर्स्ट क्लास में भी नहीं खेलते। 😴
Pradeep Yellumahanti
इंडिया डी के गेंदबाजों ने तो बिल्कुल लोकल टैलेंट का जश्न मनाया है - आर्शदीप, सरांश, ये सब तो बस एक राज्य के बाहर भी नहीं जाते, लेकिन आज वो टीम इंडिया के दिल को छू गए। ये ही असली भारत है - जहां नाम नहीं, बल्कि निर्माण होता है।
Shalini Thakrar
कुमार कुशाग्र की बल्लेबाजी में एक शांत गहराई है - जैसे कोई बारिश के बाद का सुबह का वक्त। उसकी धीमी शुरुआत, उसकी आंखों में जो चमक है... ये बस एक खिलाड़ी नहीं, एक कलाकार है। और आर्शदीप की गेंदबाजी? वो तो एक धुंधली सी आवाज़ है - जो बिना शोर के दिल को छू जाती है। 🌿❤️