दिल्ली की हवा अचानक जहर बन गई। शुक्रवार को सुबह 10 बजे तक हवा का गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 401 पर पहुंच गया, जिसके बाद आज अर्थात् शनिवार, 13 दिसंबर, 2025 को Commission for Air Quality Management (CAQM) ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-III को तत्काल लागू कर दिया। ये वही स्थिति है जहां हवा इतनी खराब हो जाती है कि बच्चे, बुजुर्ग और सांस लेने में तकलीफ होने वाले लोगों के लिए बाहर निकलना खतरनाक हो जाता है। इसके पीछे कारण सिर्फ धुआं नहीं, बल्कि मौसम का खिलवाड़ है।
हवा क्यों इतनी खराब हुई?
पिछले तीन दिनों से हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही थी। मंगलवार को AQI 259 था, बुधवार को 307 और गुरुवार को 349। फिर शुक्रवार को एक अचानक उछाल के साथ ये नंबर 401 पर पहुंच गया। इसके पीछे दो बड़े कारण हैं: प्रदूषण का जमाव और मौसम का विरोध। वायु गति बहुत कम है, हवा नहीं चल रही। जैसे कोई बर्फ का ढक्कन आसमान पर रख दिया गया हो। इसके अलावा, हवा की दिशा पूर्व की ओर बदल गई है — ये वो दिशा है जहां से बुराई के बड़े बर्तन, जैसे पंजाब और हरियाणा के खेतों से आने वाला धूल-धुआं, दिल्ली की ओर बह रहा है। पीएम2.5 कण, जो फेफड़ों में घुसकर बीमारियां पैदा करते हैं, सभी मॉनिटरिंग स्टेशनों पर खतरनाक स्तर पर पाए गए।
चरण-III के तहत क्या बैन है?
चरण-III के तहत सिर्फ एक बैन नहीं, बल्कि एक पूरी सूची है। निर्माण और ध्वंस के सभी गैर-आवश्यक कार्य बंद। दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड बीएस-III और उससे पुराने डीजल वाहन — चाहे वे जरूरी सेवाएं दे रहे हों या नहीं — को दिल्ली में प्रवेश करने की पूरी तरह से अनुमति नहीं। ये प्रतिबंध पहले से ही 1 नवंबर, 2025 से लागू था, लेकिन अब इसे और सख्त कर दिया गया है। अस्पतालों, आपातकालीन सेवाओं और जरूरी वस्तुओं के परिवहन को छोड़कर, शहर में सभी भारी वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। स्कूलों को बाहर के कार्यक्रम रद्द करने का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकारें और नगर निगमों को अपने कर्मचारियों को घर पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
CAQM क्या कर रहा है?
Commission for Air Quality Management (CAQM) एक कानूनी निकाय है, जिसकी स्थापना 2021 के एक्ट के तहत हुई थी। इसका काम सिर्फ डेटा देखना नहीं, बल्कि उस पर तुरंत कार्रवाई करना है। इस बार उन्होंने अपने सब-कमेटी के सुझाव पर तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने सभी लागूकर्ता एजेंसियों को आदेश दिया है कि वे नागरिक चार्टर का पूरा पालन करें। ये चार्टर न केवल बैन की सूची है, बल्कि नागरिकों से अपील भी है — घर पर रहें, अपने वाहनों का उपयोग कम करें, अगर जरूरत न हो तो बाहर न निकलें।
क्या ये पहली बार है?
नहीं। यह इस साल की दूसरी बार है जब चरण-III लागू हुआ है। पहली बार नवंबर के शुरुआती दिनों में ये लागू हुआ था, लेकिन फिर 26 नवंबर को इसे रद्द कर दिया गया था क्योंकि हवा थोड़ी सुधर गई थी। अब फिर से यही चक्र शुरू हो गया है। यह दर्शाता है कि ये सिर्फ एक मौसमी समस्या नहीं, बल्कि एक बार-बार दोहराई जाने वाली आपात स्थिति है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) 2017 में घोषित किया गया था और 2019 से लागू हुआ। चार चरण हैं — मामूली से बहुत खराब तक। लेकिन अब तक कोई चरण भी लंबे समय तक चला नहीं। जैसे ही थोड़ा सुधार होता है, लोग भूल जाते हैं।
अगला कदम क्या होगा?
कुछ स्रोतों ने शनिवार की शाम को दावा किया कि एयर क्वालिटी अचानक चरण-IV (AQI 450 से ऊपर) तक पहुंच गई है। लेकिन CAQM की आधिकारिक घोषणा के अनुसार, अभी तक चरण-III ही लागू है। फिर भी, वे लगातार डेटा देख रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और Indian Institute of Tropical Meteorology (IITM) के फॉरकास्ट के आधार पर अगले 48 घंटों में फैसला होगा। अगर AQI 450 से ऊपर जाता है, तो चरण-IV लागू होगा — जिसमें सभी वाहनों के लिए बैन, स्कूल बंद, और यहां तक कि बाजारों की घंटे सीमा तक शामिल हो सकती है।
क्यों नहीं हो रहा लंबे समय तक सुधार?
एक बात साफ है: ये समस्या दिल्ली की नहीं, पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की है। पंजाब और हरियाणा में खेतों में खलिहान जलाने की प्रथा अभी भी बरकरार है। दिल्ली के बाहर के शहरों में अनियंत्रित निर्माण, गाड़ियों की बढ़ती संख्या और बिजली के लिए कोयले का उपयोग बढ़ रहा है। और जब वायु गति कम होती है, तो ये सब एक साथ दिल्ली में जमा हो जाता है। लेकिन नीतियां टुकड़े-टुकड़े हैं। कोई एक राज्य नियम बनाता है, दूसरा नहीं। कोई निर्माण बंद करता है, दूसरा नहीं। जब तक एक अंतर्राज्यीय नियंत्रण नहीं आएगा, तब तक ये चक्र दोहराया जाएगा।
आम आदमी क्या कर सकता है?
अगर आपके पास घर पर काम करने का विकल्प है, तो घर पर रहें। बाहर निकलना ही जरूरी है, तो N95 मास्क जरूर पहनें। बच्चों और बुजुर्गों को बाहर न निकालें। अगर आपके पास कार है, तो उसका उपयोग न करें — बल्कि बस, मेट्रो या साइकिल का इस्तेमाल करें। अगर आप एक व्यापारी हैं, तो अपने कर्मचारियों को घर पर काम करने की अनुमति दें। ये सब छोटे कदम हैं, लेकिन जब लाखों लोग एक साथ करें, तो असर दिखता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
चरण-III के तहत स्कूल बंद हो जाएंगे क्या?
नहीं, स्कूल बंद नहीं होंगे, लेकिन सभी बाहरी गतिविधियां रद्द हो जाएंगी। खेल, एक्सक्यूटिव कार्यक्रम, फील्ड ट्रिप्स — सब बंद। स्कूल अंदर ही कक्षाएं चलाएंगे और बच्चों को खुले में नहीं जाने देंगे। अगर AQI 450 से ऊपर जाता है, तो चरण-IV के तहत स्कूल भी बंद हो सकते हैं।
क्या दिल्ली के बाहर की गाड़ियां अब भी दिल्ली में आ सकती हैं?
बीएस-III और उससे पुरानी डीजल गाड़ियां, चाहे वे किसी भी राज्य में रजिस्टर्ड हों, अब दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकतीं — भले ही वे आपातकालीन सेवाएं दे रही हों। यह प्रतिबंध 1 नवंबर, 2025 से लागू है। बीएस-IV और नए वाहनों को अभी भी अनुमति है, लेकिन उनकी संख्या भी कम करने की सलाह दी जा रही है।
क्या निर्माण कार्य पूरी तरह बंद हैं?
हां, सभी गैर-आवश्यक निर्माण और ध्वंस कार्य बंद हैं। अस्पताल, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण जैसे आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर, सभी निर्माण रोक दिए गए हैं। यह निर्णय प्रदूषण के एक बड़े स्रोत — धूल और डीजल यंत्रों — को रोकने के लिए है।
CAQM क्यों इतना धीमा है? जल्दी चरण-IV क्यों नहीं लागू किया?
CAQM को आधिकारिक डेटा के आधार पर कार्रवाई करनी होती है। अगर एक या दो स्टेशनों पर AQI 450 पार हो जाए, तो यह आपातकालीन स्थिति नहीं मानी जाती। उसके लिए कम से कम 3-4 घंटे तक लगातार ऐसा डेटा होना चाहिए। इसलिए वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं — ताकि अनावश्यक बंदी न हो।
क्या ये समस्या अगले साल भी दोहराएगी?
जाहिर है। हर साल अक्टूबर से फरवरी तक ये चक्र दोहराया जाता है। खलिहान जलाना, गाड़ियों की बढ़ती संख्या, और जलवायु परिवर्तन के कारण हवा की गति कम हो रही है। बिना एक राष्ट्रीय नीति के, जो खेतों से लेकर वाहनों तक सब पर लागू हो, ये समस्या बस बढ़ती जाएगी।
क्या ये वायु प्रदूषण बीमारियों का कारण बन रहा है?
हां, बहुत ज्यादा। दिल्ली में पिछले तीन सालों में श्वास संबंधी बीमारियों के मामले 40% बढ़ गए हैं। बच्चों में अस्थमा, बुजुर्गों में हृदय रोग, और लोगों में फेफड़ों की संक्रमण से जुड़े मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अस्पतालों में आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। ये सिर्फ हवा की बात नहीं, बल्कि जीवन की बात है।