स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया के लिए यह एक गर्व का क्षण है, क्योंकि उनके चाकण प्लांट ने 5 लाखवां इंजन तैयार कर लिया है। महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित यह प्लांट वर्ष 2009 से संचालित है। जल्द ही यह प्लांट वोक्सवैगन समूह के लिए एक प्रमुख इंजन उत्पादन केंद्र बन गया, खासकर 2014 से स्थानीय स्तर पर उत्पादन शुरू होने के बाद।
यह प्लांट मुख्य रूप से दो प्रकार के इंजन तैयार करता है: 1.0-लीटर टीएसआई टर्बो पेट्रोल इंजन जो 113 बीएचपी शक्ति और 178 न्यूटन मीटर टॉर्क उत्पन्न करता है, और 1.5-लीटर टीएसआई इंजन जो 148 बीएचपी शक्ति और 250 न्यूटन मीटर टॉर्क एक्टिव सिलिंडर टेक्नोलॉजी (ACT) के साथ उत्पन्न करता है। इन इंजनों का उपयोग स्कोडा कुशाक, स्लाविया, कैलक, और वोक्सवैगन टाइगुन तथा वर्टस जैसे मॉडलों में किया जाता है।
चाकण प्लांट की खास बात यह है कि यहां बने इंजन न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी निर्यात किए जाते हैं, जिससे भारत की स्थिति एक रणनीतिक उत्पादन और निर्यात केंद्र के रूप में मजबूत हो रही है। इंजन उत्पादन में नई तकनीकी शामिल की गई है जैसे कि ईथेनॉल मिश्रित ईंधन के लिए ई20 कंप्लायंट इंजन, जो पहले से कुशाक और स्लाविया मॉडलों में लगाए जा चुके हैं।
कंपनी के अधिकारियों ने इस सफलता पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए चाकण फैक्ट्री की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की है। स्कोडा ऑटो के बोर्ड सदस्य अंड्रियास डिक ने भारत को वैश्विक मांगपूर्ति के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पॉवरट्रेन उपलब्ध कराने में देश की अहम भूमिका बताया। SAVWIPL के मैनेजिंग डायरेक्टर पीयूष अरोड़ा ने कहा कि उनका फोकस स्थानीयकरण और नवाचार पर रहेगा, जिससे भारत के ऑटोमोटिव इकोसिस्टम को सशक्त किया जा सके।
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Dipak Moryani
5 लाख इंजन? वाह बहुत बड़ी बात है। लेकिन ये सब इंजन असल में कितने लोगों के लिए असली फायदेमंद हैं? ज्यादातर लोग तो अभी भी पुराने कारों को चला रहे हैं।
Abhishek Rathore
इंजन बन रहे हैं, निर्यात भी हो रहा है, लेकिन भारत में अभी भी ऑटो रिपेयर वाले के लिए इन नए इंजनों का टूल कितना महंगा होगा? कुछ तो बस देखने के लिए बनाए गए हैं।
Jaya Bras
E20 engine? bhaiya ye kya hai? ethanol mix? matlab petrol ki jagah chai bhar denge? 😂
Arun Sharma
यह उपलब्धि वास्तव में प्रशंसनीय है, लेकिन इसके पीछे श्रमिकों की श्रमिक अधिकारों की अवहेलना का एक अंधेरा पहलू भी है। कंपनी के बयानों में इस बारे में कोई उल्लेख नहीं है, जो एक अनुचित लापरवाही है।
Ravi Kant
भारत ने अपने तकनीकी कौशल से दुनिया को दिखा दिया। ये इंजन अब यूरोप और अफ्रीका में भी चल रहे हैं। हमारी संस्कृति में जो श्रम की गरिमा है, वह यहीं दिख रही है।
Harsha kumar Geddada
इंजन का निर्माण तो बस एक तकनीकी घटना है, लेकिन इसके पीछे एक विशाल सामाजिक-आर्थिक ढांचा छिपा हुआ है। हम जब एक इंजन को देखते हैं, तो हम वास्तव में एक असमानता के निर्माण के प्रक्रम को देख रहे हैं। यहां तक कि ई20 जैसी तकनीक भी अगर गरीबों के लिए अपनाई नहीं गई, तो यह केवल एक बाजार की चाल है, न कि वास्तविक पर्यावरणीय नवाचार। हम अपने विकास के बारे में बात करते हैं, लेकिन विकास किसके लिए? क्या यह एक व्यक्ति के लिए है या समाज के लिए? यह सवाल अभी भी बेजवाब है।
sachin gupta
E20? ये तो बस एक marketing gimmick है। मैंने देखा है, जब भी कंपनी बोलती है कि हमने नया इंजन बनाया, तो अगले ही महीने उसकी मार्केटिंग बजट बढ़ जाता है। वास्तव में ये सब बस एक बड़ा नाटक है।
Shivakumar Kumar
ये इंजन बन रहे हैं, लेकिन भारत के गांवों में अभी भी बाइक चलाने के लिए लोग दो तीन दिन की यात्रा करते हैं। जब तक हम इन बड़े इंजनों के बारे में बात नहीं करेंगे जो आम आदमी के लिए सस्ते और आसान हों, तब तक ये सब बस शहरों के लिए एक फिल्म है। असली बदलाव तब होगा जब हम इंजन नहीं, बल्कि इंजन की जरूरत को बदलेंगे।
saikiran bandari
5 lakh engines? so what? we still cant fix our roads or public transport
Rashmi Naik
ACT tech is a game changer for torque optimization but the lifecycle emissions data for E20 blends is still not transparently audited by third-party agencies so we're playing with fire here