बीती रात 12 जुलाई 2025, पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की इंडो-बांग्लादेश सीमा एक बार फिर सुर्खियों में आ गई। बीएसएफ की 143 बटालियन के जवान पर उस वक़्त जानलेवा हमला हुआ, जब वह अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद थे और सीमा पार से आने वाले संदिग्ध लोगों पर नजर रखे हुए थे। करीब डेढ़ बजे रात को तराली-1 सीमा चौकी के नजदीक तीन-चार लोग, सिर पर बोरियां उठाए, फेंसिंग की ओर बढ़ते दिखे। जवान ने चेतावनी दी, लेकिन वे रुके नहीं। जवाब में तस्करों ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए और टॉर्च की तेज़ रोशनी से जवान की आंखें चौंधिया दीं। इनकी आक्रामकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तस्कर ने धारदार दाह से जवान के बाएं हाथ पर वार कर दिया।
यूं तो सीमा पर ऐसे मुठभेड़ आम हैं, लेकिन इस बार तस्करों का दुस्साहस साफ दिखा। जवान ने किसी तरह संयम रखते हुए अपनी Pump-Action Gun से हवा में फायर किया, लेकिन तस्कर पीछे नहीं हटे। वे जवान को घेरकर मारपीट पर उतर आए। उसी दौरान सीमा चौकी से और बीएसएफ जवान मौके पर पहुंचे। जवाबी कार्रवाई में दो तस्करों को दबोच लिया गया, जबकि बाकी भाग निकले।
गिरफ्तार तस्करों के पास से भारी मात्रा में नारकोटिक्स बरामद हुए हैं। ये तस्कर इस इलाके में अक्सर देखे जाते हैं, जहां से बांग्लादेशी सीमा से सटी फेंसिंग के करीब- करीब हर महीने कई बार तस्करी की कोशिशें होती रहती हैं। जवान को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
बीएसएफ साउथ बंगाल फ्रंटियर के डीआईजी और प्रवक्ता एन.के. पांडे ने जवानों की बहादुरी की तारीफ की। पांडे के मुताबिक, जवानों ने अपनी पोस्ट नहीं छोड़ी, जबकि तस्कर संख्या में ज्यादा थे। ये बस एक रात का वाकया नहीं, बल्कि उस संघर्ष की बानगी है, जिसको सीमा पर तैनात जवान रोज झेलते हैं।
पकड़े गए दोनों तस्करों को स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया गया है। अब पुलिस पूछताछ करेगी कि उनके गिरोह में कितने और लोग शामिल हैं, और तस्करी के पीछे कितने बड़े नेटवर्क का हाथ है। इससे साफ है कि बीएसएफ के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ सीमा पर पहरा देना नहीं, बल्कि सीमापार से आ रहे ऐसे संगठित अपराधी गिरोहों की लगातार साजिशों से भी निपटना है।
इंडो-बांग्लादेश बॉर्डर के इस पूरे इलाके में तस्करी के अलग-अलग तरीके आजमाए जा रहे हैं – कहीं पशुओं की, तो कहीं ड्रग्स या डीजल की आवाजाही होती है। तस्कर अक्सर रात के अंधेरे और स्थानीय इलाकों की भौगोलिक पेचीदगियों का फायदा उठाते हैं। ऐसे में, जवानों की सतर्कता और संयम ही सीमा की असली रक्षा है, जिसे वो रोज़मर्रा अमल में लाते हैं।
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