वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 पेश करते हुए लंबे समय के पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर में संवर्धन की घोषणा की है। अब एलटीसीजी टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है। इस फैसले से न केवल वित्तीय बल्कि गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर भी प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, इस बदलाव का एक सकारात्मक पहलू भी है - छूट की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि करदाताओं के पास अधिक बचत करने का अवसर होगा।
लंबे समय के पूंजीगत लाभ कर में संवर्धन और छूट सीमा में वृद्धि का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। इससे करदाताओं, खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को समर्थन मिलेगा। पहले, एलटीसीजी टैक्स की छूट 1,00,000 रुपये तक थी, जिससे 2,00,000 रुपये की आय पर 10,400 रुपये का टैक्स लगता था। लेकिन अब, नए संशोधन के अनुसार, 2,00,000 रुपये के लाभ पर टैक्स केवल 9,375 रुपये होगा, जिससे करदाताओं को 650 रुपये की शुद्ध बचत होगी।
डेलॉयट इंडिया की पार्टनर दिव्या बवेजा और चार्टर्ड अकाउंटेंट (डॉ.) सुरेश सुराणा ने इन बदलावों के प्रभाव पर अपनी राय व्यक्त की है। दोनों विशेषज्ञों का मानना है कि यह संशोधन उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं जो निवेश को एक वर्ष से अधिक समय तक रखते हैं। इसके अलावा, नए एलटीसीजी कर और छूट सीमा के चलते करदाताओं के लिए अधिक बचत का अवसर भी होगा।
लंबे समय के पूंजीगत लाभ कर के अंतर्गत यह संशोधन निवेशकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पहले जहाँ 1,00,000 रुपये तक के लाभ पर कोई टैक्स नहीं था, अब 1,25,000 रुपये तक की छूट दी गई है। इससे निवेशकों को लाभ होगा और वे अपनी करदाताओं की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समायोजित कर सकेंगे।
आम नागरिकों द्वारा इस घोषणा का स्वागत किया गया है। लोगों का मानना है कि इस छूट सीमा में वृद्धि से वे अपने लाभ को और भी अधिक बढ़ा सकेंगे। इसके अलावा, निवेश के विकल्प भी विविध होंगे, जिससे लंबी अवधि के लिए निवेश का आकर्षण बढ़ेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों का विशेष ध्यान रखा है। आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के लिए उन पर कर भार को कम करना महत्वपूर्ण निर्णय था। इस कदम से यह साफ है कि सरकार की प्राथमिकता है कि आम जनता को निवेश और आर्थिक सुरक्षा के लिए बेहतर विकल्प मिलें।
आर्थिक विशेषज्ञों ने इस निर्णय को सकारात्मक माना है। उनका कहना है कि छूट की सीमा बढ़ाने से करदाताओं के बीच निवेश की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, नए एलटीसीजी टैक्स से जुड़े नियमों का पालन करना भी सरल होगा, जिससे करदाताओं की स्थिति और बेहतर बनेगी।
यह बदलाव अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में हैं और इनका पूरी तरह से प्रभाव देखने में समय लग सकता है। लेकिन शुरुआती संकेत स्पष्ट हैं - इस संशोधन से करदाताओं को अधिक बचत का अवसर मिलेगा, और उन्हें निवेश के निर्णयों में अधिक स्वतंत्रता भी मिलेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना प्रभाव डालते हैं।
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