2024 के विधानसभा चुनावों के परिणाम सामने आ चुके हैं और राजनीतिक माहौल अब गर्मा गया है। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम दोनों राज्यों में इस बार के चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि ये परिणाम 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। दोनों राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है, जिससे वोटर्स भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
अरुणाचल प्रदेश में इस बार भाजपा शासनकाल को चुनौती देने के लिए विपक्षी दल कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों ने पूरा जोर लगा दिया है। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में भाजपा अभी 41 सीटों पर काबिज है। पूर्व मुख्यमंत्री नबाम टुकी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी इस बार सत्ता वापस पाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। इसके अलावा, नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और जनता दल (यूनाइटेड) जैसे दल भी मैदान में हैं और अपने-अपने किले को मजबूत करने की कवायद में लगे हैं।
विधानसभा चुनावों में इस बार भाजपा के सामने एक बडी चुनौती खड़ी हो चुकी है। जहां एक ओर कांग्रेस पहले की अपेक्षा मजबूत नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रीय दलों ने भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। राज्य के जनमानस और उनके मुद्दों को भली-भांति समझते हुए ये दल अभियान चला रहे हैं। जनसम्पर्क, रैली और जनसभाओं के माध्यम से सभी पार्टियां अपनी पकड़ जमाने में लगी हुई हैं।
सिक्किम की राजनीति में एक लंबा दौर सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) और उनके नेता पवन कुमार चामलिंग का रहा है। उन्होंने 1994 से इस राज्य पर कब्ज़ा जमा रखा है। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है। भाजपा और हमरो सिक्किम पार्टी (HSP) जैसे दलों ने एसडीएफ को कड़ी टक्कर दी है।
राज्य में 32 विधानसभा सीटें हैं और SDF ने फिलहाल 22 सीटें अपने पास रखी हैं। वर्तमान में सत्ताधारी दल को नई रणनीतियों और चुनाव अभियानों के माध्यम से चुनौती दी जा रही है। भाजपा और HSP ने मिलकर इस बार राजनीति के समीकरण बदलने की कोशिश की है।
2024 विधानसभा चुनावों के परिणाम न केवल राज्यों के लिए बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी बहुत मायने रखते हैं। ये नतीजे भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करेंगे। दोनों राज्यों में हुई वोटिंग और अब तक के रुझानों से एक बात साफ हो गई है कि जनता ने अपने प्रतिनिधियों को चुनने में काफी सोच-समझ कर फैसले लिए हैं।
चुनाव के परिणाम आने के बाद राजनीतिक विश्लेषक और जनमानस दोनों ही इस पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। नतीजे घोषित हो चुके हैं और अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि आखिरकार किस दल को जनसमर्थन प्राप्त होता है। विजयी दल के लिए ये चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे उन्हें आगामी 2024 लोकसभा चुनावों के लिए एक मजबूती मिल सकती है।
फिलहाल, ताजे अपडेट के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है, जबकि सिक्किम में एसडीएफ और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिल रही है। अंतिम परिणामों के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि किसे जनता ने अपना समर्थन दिया है।
चुनाव परिणाम की घोषणा होने के बाद से ही प्रमुख न्यूज़ चैनल्स और मीडिया हाउस लगातार ताजे परिणाम और चुनावी रुझानों की जानकारी दें रहे हैं। दोनों राज्यों में मतगणना के चलते अलग-अलग क्षेत्रों से विविध प्रकार के अपडेट सामने आ रहे हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव परिणामों की घोषणा के साथ ही हर छोटे-बड़े अपडेट पर नजर रखी जा रही है।
अंतिम परिणाम प्राप्त होने तक जनता और राजनीतिक दल दोनों ही बारीक नजर बनाए हुए हैं। भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौनसे दल इन चुनावों में बाजी मारते हैं और कैसे ये चुनावी नतीजे आगामी लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने वाले हैं।
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pk McVicker
भाजपा जीत गई बस अब चुप रहो।
Shalini Thakrar
इस चुनाव में जनता ने एक नए राजनीतिक आयाम को अपनाया है - एक डिस्कोन्टिन्यूटेड डेमोक्रेसी जहां राष्ट्रीय दलों की शक्ति कम हो रही है और स्थानीय अभिव्यक्ति की शक्ति बढ़ रही है। 🌱✨ ये बस चुनाव नहीं, एक सामाजिक रूपांतरण है।
Laura Balparamar
कांग्रेस को अरुणाचल में वापसी का कोई मौका नहीं। ये लोग तो अभी तक राज्य की जमीनी स्थिति समझ नहीं पाए।
Shivam Singh
sdf ne 22 seat pakdi... par kya ye sach me janta ka support hai ya bas vote bank ka jadu? 🤔
Piyush Raina
सिक्किम में एसडीएफ का लंबा शासन एक अद्वितीय राजनीतिक घटना है। यहाँ लोग नेतृत्व की स्थिरता को पसंद करते हैं, न कि बदलाव की धूम। ये एक सांस्कृतिक विशेषता है।
Vineet Tripathi
अरुणाचल में भाजपा के लिए ये 41 सीटें बहुत ज्यादा नहीं हैं। अगर वो जनता के साथ रहना चाहते हैं, तो अब बस बातें करने की जगह काम करने शुरू कर दें।
Dipak Moryani
क्या किसी को पता है कि एनपीपी ने अरुणाचल में कितने वोट पाए? कुछ अपडेट नहीं दिख रहे।
Subham Dubey
ये सब एक बड़ी साजिश है। लोकसभा चुनाव से पहले जनता को भ्रमित करने के लिए राजनीतिक दल अपने अपने नाम से चुनाव लड़ रहे हैं। ये सब एक ट्रैक्शन है।
Vijay Kumar
जनता के दिमाग में भाजपा का नाम अब बस एक टैग है। वो असली दल नहीं, बल्कि एक ब्रांड है।
Abhishek Rathore
दोनों राज्यों में चुनाव का नतीजा देखकर लगता है कि भारत की राजनीति अब और अधिक स्थानीय हो रही है। ये अच्छी बात है।
Rupesh Sharma
अगर तुम अरुणाचल के गांवों में जाओगे, तो पता चलेगा कि लोग नेता के नाम से नहीं, बल्कि उनकी जमीनी कार्रवाई से वोट देते हैं। भाजपा ने इसी को समझा है।
Jaya Bras
sdf 22 seat... haan bhai 22 seat... par 10 me 8 vote fraud hai bhai 😏
Arun Sharma
चुनाव परिणामों का विश्लेषण बिना आंकड़ों के करना एक अवैज्ञानिक अभ्यास है। इस पर चर्चा करने से पहले निर्वाचन आयोग के आधिकारिक डेटा को जांचना चाहिए।
Ravi Kant
सिक्किम के लोगों की राजनीतिक विरासत अद्वितीय है। यहाँ का संस्कृति-राजनीति संबंध दूसरे किसी राज्य में नहीं मिलता।
Harsha kumar Geddada
यहाँ एक गहरी विश्लेषणात्मक बात है - जब एक राज्य में लंबे समय तक एक ही दल शासन करता है, तो वह दल अपने आप को राज्य की आत्मा के साथ एकीकृत कर लेता है। लेकिन जब एक नया दल आता है, तो वह न केवल एक नया नेतृत्व लाता है, बल्कि एक नया विचारधारा भी लाता है। और यही असली चुनौती है - क्या जनता नई विचारधारा को अपनाने को तैयार है? यह सवाल अरुणाचल और सिक्किम दोनों में एक ही है।
sachin gupta
भाजपा का ये विजय नहीं, बल्कि एक निर्माणात्मक राजनीतिक अधिकार का अभियान है। ये लोग बस वोट नहीं लेते, वो राष्ट्रीय अनुभव को रीडिफाइन कर रहे हैं।
Shivakumar Kumar
अरुणाचल में भाजपा के लिए ये सीटें बहुत ज्यादा नहीं हैं, लेकिन उनका वोटर बेस अब बहुत अच्छी तरह से रूटेड है। अगर वो अब लोगों के साथ रहेंगे, तो अगले चुनाव में ये दर्जा और बढ़ेगा।
Rajeev Ramesh
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के द्वारा जारी किए गए आधिकारिक परिणामों की पुष्टि नहीं की गई है। इसलिए, इस प्रकार के विश्लेषण अभी अवैध हैं।
Laura Balparamar
शायद अब भाजपा को अपने दल के लोगों को अरुणाचल में बेहतर तरीके से जोड़ना चाहिए। बस वोट नहीं, बल्कि विश्वास बनाना है।